Wednesday, January 27, 2016

टाटा लिटरेचर लाइव अवॉर्ड शो का ऐलान, 'रेड मेज' बनी बेस्ट फिक्शन बुक

टाटा लिटरेचर लाइव और मुंबई लिटफेस्ट ने हाल ही में अपने छठे साहित्यिक पुरस्कारों का ऐलान किया. आपको बताते हैं किसके हिस्से क्या आया.
फिक्शन कैटेगरी: रेड मेज
लेखक: दिनेश राना
कश्मीर के बुरे हालात और हिंसा के माहौल में खोई जिंदगी की पृष्ठभूमि पर दिनेश राना ने यह किताब लिखी है. दिनेश जम्मू-कश्मीर काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने कश्मीर की बदहाली को करीब से देखा है और हमारे समय की दर्दनाक मानवीय त्रासदी की बारीकियों को इस किताब में लिखा है.
नॉन-फिक्शन कैटेगरी: द सीजन्स ऑफ ट्रबल
लेखिका: रोहिणी मोहन
श्रीलंका के सिविल वॉर में युद्धस्थिति खत्म होने के बाद भी उसकी तपिश में फंसी तीन जिंदगियों की कहानी है यह किताब. रोहिणी बंगलुरु बेस्ड पॉलिटिकल जर्नलिस्ट हैं और उन्होंने पांच साल के रिपोर्ताज का अनुभव इस किताब में लिखा है. उन्हें अपने काम के लिए 2013 में चार्ल्स वैलेस फेलोशिप और 2012 में आईसीआरसी ह्यूमैनिटेरियन रिपोर्टिंग अवॉर्ड मिला था. वह तहलका, कैरेवन, आउटलुक, द हिंदु और द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में काम कर चुकी हैं.
पब्लिशर हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया ने सात में से पांच पुरस्कार अपने नाम किए. टाटा लिटरेचर लाइव ने 'बुक ऑफ द र्ईयर' कैटेगरी में भी फिक्शन और नॉन फिक्शन काम के लिए लेखकों को सम्मानित किया.
बुक ऑफ द ईयर (फिक्शन): द लॉयन्स: ईकोज फ्रॉम द महाभारत
कवियत्री: कार्तिका नायर
द्रौपदी, अंबा, हिडिंबी, उत्तरा, उलूपी. कवियत्री कार्तिका नायक के ताकतवर शब्दों में महाभारत की महिलाएं युद्ध के नगाड़े की गूंज पर बोलती हैं. कार्तिका नायर ने गहरी रिसर्च और निर्भीक छानबीन से ये कविताएं लिखी हैं, जो महाभारत के नए पहलू पर बात करती हैं. इससे पहले कार्तिका 'बियरिंग्स' और 'हनी हंटर' जैसी किताबें लिख चुकी हैं.
बुक ऑफ द ईयर (नॉन-फिक्शन): गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया
लेखक: अक्षय मुकुल
यह किताब भारत के सबसे बड़े धार्मिक प्रकाशन और उसके प्रभाव के बारे में है. साल 2014 तक गीता प्रेस प्रकाशन गीता की करीब 7.2 करोड़ कॉपी बेच चुका था. किताब इस बात की पड़ताल करती है कि क्या गीता प्रेस ने अपने पाठकों का ऐसा साम्राज्य तैयार जिसने अंतत: हिंसक हिंदू राष्ट्रवादी आवाज में स्वर मिलाया. अक्षय मुकुल एक मशहूर अंग्रेजी अखबार में पत्रकार हैं.
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड: किरण नागरकर
इसके अलावा लेखक किरण नागरकर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया. पुरस्कार में उन्हें चांदी का फलक और 5 लाख रुपये का कैश प्राइज दिया गया. इससे पहले अलग अलग वर्षों में एमटी वासुदेवन नायर, खुशवंत सिंह और वीएस नायपॉल को यह पुरस्कार मिल चुका है. किरण नागरकर अपनी साहित्य अकादमी पुरस्कृत किताब 'ककल्ड' के लिए ज्यादा जाने जाते हैं. उनकी किताब 'गॉड्स लिटिल सोल्जर' को भी काफी सराहा गया था. उन्होंने अपनी पहली किताब 'सात सक्कम त्रेचालीस' मराठी में लिखी और इसे आजादी के बाद भारतीय साहित्य की अहम कृतियों में माना जाता है.

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